इस गिरावट का मुख्य कारण पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टैरिफ योजनाओं के आगे बढ़ने की पुष्टि के बाद एशियाई बाजारों में गिरावट थी, जिसका असर भारतीय शेयरों पर भी पड़ा। इसके अलावा, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 8 पैसे कमजोर होकर 87.40 पर पहुंच गया। विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और मौजूदा तरलता घाटे ने रुपये को दबाव में डाला।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर इंडेक्स में 0.12% की गिरावट आई, और ब्रेंट क्रूड वायदा में भी 0.63% की गिरावट दर्ज की गई, जो 71.17 डॉलर प्रति बैरल पर आकर रुका।
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