ईओडब्ल्यू ने खुलासा किया कि बैंक की प्रभादेवी शाखा की तिजोरी की क्षमता केवल 10 करोड़ रुपये थी, लेकिन बैंक के रजिस्टर में तिजोरी में 122.028 करोड़ रुपये दिखाए गए थे। यह मामला भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निरीक्षण के दौरान सामने आया, जब आरबीआई की टीम ने पाया कि तिजोरी में केवल 60 लाख रुपये ही थे। इसके अलावा गोरेगांव शाखा की तिजोरी की क्षमता भी 10 करोड़ रुपये थी, जबकि वहां 10.53 करोड़ रुपये मिले।
ईओडब्ल्यू अब इस बात की जांच कर रही है कि बैंक के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच करने वाले ऑडिटरों ने क्यों सवाल नहीं उठाए और मामले को आगे क्यों नहीं बढ़ाया। पुलिस ने इस मामले में बैंक के महाप्रबंधक हितेश मेहता और उनके सहयोगियों के खिलाफ आरोप लगाए हैं।
इस बीच, आरबीआई ने बैंक पर कई प्रतिबंध लगाने के बाद अब 27 फरवरी से जमाकर्ताओं को 25,000 रुपये तक निकालने की छूट दी है। इससे पहले आरबीआई ने बैंक के निदेशक मंडल को भंग कर दिया था और बैंक के कामकाज के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया था।
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