दिसंबर 2024 में, एफपीआई ने ₹15,446 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की थी, लेकिन पिछले साल की तुलना में इसमें 99 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। इसके प्रमुख कारणों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती, अमेरिकी बॉन्ड्स और इक्विटी बाजारों में निवेशकों की रुचि बढ़ने, और भारतीय शेयरों के उच्च मूल्यांकन की स्थिति शामिल है। इसके अलावा, भारत की वृद्धि दर में सुस्ती, कमजोर औद्योगिक उत्पादन और कंपनियों की आय में कमी भी बाजार में नरमी का कारण बने हैं।
एफपीआई की बिकवाली से संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशक वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू चुनौतियों को लेकर सतर्क हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी को बनाए रखने और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार को इन समस्याओं का समाधान जल्दी निकालना होगा।
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