रमेश देव, जिनका फिल्मी करियर मराठी और हिंदी दोनों सिनेमा में अतुलनीय रहा, की पहली फिल्म 'अंधला मगतो एक डोला' (1956) थी। उनका करियर एक दिलचस्प घटना से शुरू हुआ, जब एक घोड़े की रेस के दौरान उनकी मुलाकात मराठी निर्देशक राजा परांजपे से हुई और उन्हें फिल्म का ऑफर मिला। हिंदी सिनेमा में कदम उन्होंने एक चायवाले की बात से प्रेरित होकर रखा, जिसने उन्हें इस इंडस्ट्री में आने का निर्णय लिया।
रमेश देव ने 285 हिंदी, 190 मराठी फिल्मों और 200 नाटकों में अभिनय किया। उनका योगदान मराठी सिनेमा के लिए अविस्मरणीय था, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर मराठी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी मिला। उनके बेटे अजिंक्य देव और अभिनव देव भी सिनेमा इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं।
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