खरगे ने यह भी कहा कि राज्यसभा में अधिक राजनीति हो रही है और नियमों के बजाय व्यक्तिगत विचारों का प्रभुत्व है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि सभापति विपक्षी नेताओं को न सिर्फ उपदेश देते हैं, बल्कि उन्हें बोलने का अवसर भी नहीं देते। खरगे ने यह भी साफ किया कि कांग्रेस की व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, लेकिन संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उन्हें यह कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हुई।
डीएमके सांसद तिरुचि शिवा और आरजेडी सांसद मनोज झा ने भी सभापति के पक्षपाती व्यवहार की निंदा की और इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा बताया। उनका कहना था कि जब सत्ताधारी पार्टी विपक्षी नेताओं को बोलने का मौका नहीं देती, तो यह संसदीय लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
कांग्रेस ने इस विषय पर अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है, जो राज्यसभा अध्यक्ष के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों की बहाली के लिए है। यह कदम संविधान की रक्षा और संसद के कार्यों को निष्पक्ष रूप से चलाने की दिशा में उठाया गया है।
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