एक देश, एक चुनाव: 32 दलों ने किया समर्थन, 15 दलों ने जताया विरोध

 कांग्रेस, आप, बसपा और माकपा जैसे राष्ट्रीय दलों ने एक देश, एक चुनाव प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भाजपा और कई क्षेत्रीय दलों ने इसका समर्थन किया, लोकतंत्र और संघीय ढांचे को लेकर विरोध जताया गया।

नई दिल्ली "एक देश, एक चुनाव" प्रस्ताव को लेकर देशभर में राजनीतिक दलों के बीच गहरी चर्चा चल रही है। इस प्रस्ताव का समर्थन 32 राजनीतिक दलों ने किया है, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया है। भाजपा और राष्ट्रीय पीपुल्स पार्टी (NPP) सहित कई क्षेत्रीय दलों ने इसका समर्थन किया, जबकि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और माकपा ने इस पर आपत्ति जताई है।

कोविड समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 47 राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 32 दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने विरोध व्यक्त किया। समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पहले कहा था कि इन 15 दलों में से कई दलों ने पहले कभी एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया था।

समर्थन करने वाले दलों का नजरिया:
समर्थन करने वाले दलों का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी, सामाजिक सद्भाव बना रहेगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। भाजपा और NPP ने इसे एक सशक्त और स्थिर सरकार के लिए जरूरी कदम बताया। इन दलों का मानना है कि इससे चुनावों की प्रक्रिया सरल और कम खर्चीली होगी, जिससे शासन और विकास में गति आएगी।

समर्थक दलों ने यह भी तर्क दिया कि एक साथ चुनाव होने से राजनीति पर ध्यान केंद्रित होगा, जिससे राष्ट्रीय विकास के लिए बेहतर योजनाएं बन सकती हैं।

विरोध करने वाले दलों की चिंताएं:
वहीं, विरोध करने वाले दलों ने इस प्रस्ताव पर गहरी आपत्ति जताई है। कांग्रेस, आप, माकपा और BSP ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन हो सकता है और यह लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है। इन दलों ने यह भी कहा कि इससे क्षेत्रीय दलों को नुकसान हो सकता है और राष्ट्रीय दलों का वर्चस्व बढ़ सकता है, जो भारतीय संघीय ढांचे के खिलाफ होगा।

कांग्रेस और माकपा ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कदम संविधान के मूल सिद्धांतों को कमजोर करेगा, जबकि BSP ने इस प्रस्ताव का खुला विरोध तो नहीं किया, लेकिन देश के क्षेत्रीय विविधताओं और जनसंख्या के मुद्दों को लेकर चिंता व्यक्त की।


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