नई दिल्ली : 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले की 23वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने अपनी जान की आहुति देकर देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने शहीदों के बलिदान को याद करते हुए कहा, "शहीदों का साहस और समर्पण हमेशा देश को प्रेरित करेगा। हम उनके सर्वोत्तम बलिदान के लिए हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।"
प्रधानमंत्री मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
"संसद हमले में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनका बलिदान हमेशा हमारे देश को प्रेरित करता रहेगा। हम उनके साहस और समर्पण के लिए सदैव ऋणी रहेंगे।"
अन्य नेताओं की श्रद्धांजलि
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। उन्होंने कहा, "हमने आज संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए वीर जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की। आतंकवाद के खिलाफ पूरा देश एकजुट है, और हम सब मिलकर इस जंग को जीतेंगे।"
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी शहीदों को याद किया। उन्होंने X पर लिखा,
"आज का दिन हमें उन वीर शहीदों की याद दिलाता है जिन्होंने संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले के समय अपने प्राणों की आहुति देकर देश और हमारे लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की। उन सभी वीर जवानों की अमर शहादत को कोटि-कोटि नमन।"
2001 का संसद हमला: भारतीय इतिहास का काला दिन
13 दिसंबर 2001 को पांच आतंकियों ने भारतीय संसद परिसर पर हमला किया था। ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े थे, जो पाकिस्तान से संचालित होते थे। आतंकियों ने सरकार के स्टिकर वाली एक कार का इस्तेमाल कर संसद परिसर में घुसने की कोशिश की। लेकिन, सुरक्षाबलों ने तुरंत प्रतिक्रिया करते हुए सभी हमलावरों को मार गिराया।
इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवानों, संसद सुरक्षा कर्मचारियों के दो जवानों, एक सीआईएसएफ जवान और एक माली की शहादत हुई। शहीदों में दिल्ली पुलिस के एएसआई जगदीश, मतबार, कमलेश कुमारी, हेड कॉन्स्टेबल ओम प्रकाश, बिजेंद्र सिंह, घनश्याम और माली देशराज शामिल थे।
यह हमला भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ाने वाला था, लेकिन सुरक्षाबलों की तत्परता और वीरता ने इसे बड़े पैमाने पर होने वाली तबाही से रोक लिया। आतंकवादियों को पाकिस्तान से सीधे निर्देश मिल रहे थे, और वे आईएसआई के मार्गदर्शन में भारत आए थे।
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